Saturday, June 4, 2016

ज़िन्दगी और मैं

ज़िन्दगी और मेरे दरमियाँ एक लकीर है
लकीर के इस तरफ मैं और मेरा हुनर है ....
लकीर के उस तरफ दुनिया और दुनिया की धन दौलत है .
ज़िन्दगी और मेरे दरमियाँ, कई सालो से एक अघोषित युद्ध भी शुरू है.. 
ज़िन्दगी शायद जीत रही है, लेकिन हार तो मैं भी नहीं रहा हूँ....
कभी तो खुदा की मेहर होंगी....
कभी तो ज़िन्दगी मुझ पर अपनी खुशियों की बरसात करेंगी..
कभी तो.....
हार तो मैं मानने वाला नहीं...
विजय