Thursday, March 13, 2014

दुनिया, तुम और मैं !!!

दुनिया भर घूम आते हो 
दुनिया को जी भर कर देखते हो 
दुनिया से बाते करते रहते हो ....

.......कभी उस मोड़ पर भी चले आओ.....जहाँ हम खड़े है 
……….कभी हमें भी जी भर कर देख लो …….आँखे तुम्हारा इन्तजार करती रहती है 
………कभी एक लफ्ज़ हमारे नाम कर दो .......मन तुम्हे सुनने को तरस रहा है 

और फिर..... दुनिया के पास वो निगाहें कहाँ जो हमारे पास है !
और दुनिया के पास वो अलफ़ाज़ कहाँ जो हमारे दिल में है !
और इस फानी दुनिया के पास वो आगोश कहाँ जो हमारे बांहों में है !

....choice is all yours boss !
all you have to remember that YOU live only once ....!

या तो इस तरह जी लो या फिर उस तरह ही जी जाओ , जो जी रहे हो .
फर्क बहुत मामूली है , उस जहान में मैं नहीं और इस जहान में मेरे सिवा कुछ भी नहीं ..!

Sunday, March 2, 2014

मौन

मैंने अपने भीतर के मौन को सूनी रातो में जागकर शब्दों में बदला है .
क्या तुम उन शब्दों में मौजूद मेरे मौन को सुन सकते हो .


ये वो मौन है जो अब हमेशा हमारे दरमियान रहेगा !

दरअसल ये वो मौन भी है जो हज़ारो सालो से हम जैसो के दरमियान रहा है .
मैं तो बस उस मौन की कश्ती का माझी हूँ .

हां ! ये कश्ती तुम्हारी है . नदी के इस पार मैं रहता हूँ . और उस पार तुम !

तुम नाम जानना चाहते हो . जान लो . नदी का नाम ज़िन्दगी है . कश्ती का नाम मोहब्बत है . माझी मैं हूँ और तुम ?

कौन हो तुम ?