Wednesday, January 9, 2013

एक चिट्ठी :




एक चिट्ठी : 

सुना है , कल सरहद पर चली थी गोली , 
कुछ शहीद अब भी हमें मौन से ताकते है ...
उनका कसूर क्या है दोस्त: 
सियासत करने वाले कब मोल समझेंगे :
कल टीवी कह रहा था : हमारे नेता इस बात को कहेंगे 
उस कहने सुनने में बरसो बीत गए , 
और हजारो शहीद हो गए . 
मेरी श्रधांजलि , उन बन्दों को , जो मेरे न होते हुए भी मेरे ही है . 
कल से आपकी बहुत याद आ रही है गौतम 
अपना ख्याल रखना .

विजय 

2 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट की चर्चा 10-01-2013 के चर्चा मंच पर है
    कृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं

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